जिंदगी जीने के ये आयुर्वेदिक तरीके देंगे लंबी उम्र का वरदान
सेहतराग टीम
मनुष्य इस ब्रमाण्ड का एक छोटा सा अंश है। जैसे यह दुनिया पांच तत्वों पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि और आकाश से बनी है, वैसे ही आयुर्वेद यह मानता है कि हमारा शरीर भी इन्हीं तत्वों से बना है। यही तत्व तीन दोषों एवं सात धातुओं का निर्माण करते हैं। आयुर्वेद शरीर में इन्हीं दोषों और धातुओं के संतुलन और असंतुलन के कारण, निवारण और परिणाम पर आधारित है। आयुर्वेद हमें बताता है कि अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए और किन बातों से बचकर हम लंबी आयु पा सकते हैं। यहां हम ऐसे ही कुछ बातों की चर्चा करेंगे।
लंबी आयु के नुस्खे-
- सुबह चार बजे उठें और अपना चेहरा अच्छी तरह धोएं। इसके बाद दांतों और जीभ की सफाई करें।
- सुबह खासकर दांतों की सफाई से पहले कॉफी या चाय न पिएं।
- शरीर की क्षमता के अनुसार व्यायाम करें।
- रोज नियमित रुप से प्रणायाम करें, यह दिमाग और शरीर को नियंत्रित करता है। जिससे यदददास्त अच्छी होती है और कुछ भूलते नहीं हैं।
- शरीर की तिल के तेल से हल्की मालिश के बाद हलके गरम पानी से स्नान करें। अधिक मालिश वात को उत्तेजित करती है।
- हो सके तो कानों की भी सफाई करें और समय-समय पर ईयर ड्राप डालें।
- समय-समय पर नाक में नेजल ड्राप डालें।
- हर रोज सुबह 15-20 ध्यान जरूर करें।
- सुबह 6 से 8 के बीच नाश्ता कर लें।
- दोपहर का खाना 2 बजे तक जरूर कर लें। खाने के बाद पानी ज्यादा न पिएं।
- दोपहर को खाना खाने के बाद थोड़ा टहलें।
- काम करते हुए शरीर को ज्यादा थकने न दें।
- शाम का खाना 6 से 8 बजे के बीच कर लें।
- भर पेट न खाएं, एक चौथाई भूख बनाए रखें।
- रात में 10 बजे तक जरूर सो जाए।
- सोना भी खाना खाने जितना जरूरी है, अच्छी नींद से आयु बढ़ती है।
- शराब और नशीले पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें, धूम्रपान कभी भी मत करें।
- दूसरों को किसी प्रकार की शारीरिक या नैतिक नुकसान न पहुंचाए।
- हमेशा दूसरों का भला होने की कामना करें और अपने शत्रुओं से भी घृणा न करें।
- लंबी उम्र के लिए सेक्स भी जरूरी है। सयंमित यौन क्रिया करें। क्योंकि ज्यादा यौन संपर्क रोगों को उत्पन्न करता है और इसके दुष्प्रभाव से उम्र घटने लगती है।
- रोज पौष्टिक आहार, जैसे दूध, घी, अश्वगंधा, चव्यनप्राशआदि का सेवन करें। ये सब चीज़ें पेशी ऊतकों को मजबूत बनाकर व्यक्ति की उम्र लंबी करती हैं।
- हर रोज कच्ची व ताजा सब्जियां खाएं।
- मांस (नॉन-वेज) से परहेज करें, क्योंकि वह वसा, चर्बी, उच्च रक्तचाप और मधुमेह को बढ़ाता है। यदि आप उसे छोड़ नहीं सकते तो कम कर दें। दाल व चावल में मौजूद प्राकृतिक प्रोटीनों व कार्बोहाइड्रेटों का इस्तेमाल करें।
- शाम को भी 15 से 20 मिनट तक ध्यान करें, जो शरीर और मन को शांति प्रदान करता है।
- सदैव सच बोलें और ईश्वर में निष्ठा रखें, इससे मन को शांति मिलती है।
- सभी जीवों और प्रकृति से प्रेम करें।
- हमेशा स्वस्थ व बुद्धिमान रहें और प्रसन्न रहने का प्रयास करें।
(यह लेख डॉ. टी. एल. देवराज की किताब आयुर्वेद और स्वस्थ जीवन से साभार लिया गया है।)
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